25 मार्च को उदया तिथि में चैत्र मास की प्रतिपदा नहीं होने से 26 को मनेगी होली
24 के रात में 10 बज कर 29 मिंट से सूर्योदय के पूर्व जलेगी होलिका
होली 26 मार्च को मनाई जाएगी। वहीं होलिका दहन 24 मार्च की मध्यरात्रि किया जाएगा।
ज्योतिर्विद आचार्य लोकनाथ तिवारी ने बताया की वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, 24 मार्च को चतुर्दशी तिथि का मान सुबह 09 बजकर 23 मिनट तक पश्चात पूर्णिमा तिथि है। इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र सुबह 07 बजकर 18 मिनट, पश्चात उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और वृद्धि योग और छत्र नामक औदायिक योग है।
दूसरे दिन यानी 25 मार्च को पूर्णिमा दिन में 11 बजकर 31 मिनट तक है। शास्त्र के अनुसार, होलिका का पूजन और दहन पूर्णिमा कालिन भद्रा रहित समय में किया जाता है। पूर्णिमा तिथि के पहले भद्रा रहती है। भद्रा की स्थिति 24 मार्च को सुबह नौ बजकर 23 मिनट से रात 10 बजकर 28 मिनट तक है। 24 मार्च को रात में 10 बजकर 28 मिनट के बाद और दूसरे दिन सूर्योदय के पहले कभी भी होलिका का पूजन और दहन किया जा सकता है। 25 मार्च को उदया तिथि में चैत्र मास की प्रतिपदा का मान नहीं होने से होली 26 मार्च को मनाई जाएगी।
क्यो मनाया जाता है होली का पर्व
यह त्यौहार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के मारे जाने की स्मृति में मनाया जाता है। होलिका दहन के बाद ही होली मनाई जाती । हिरण्यकश्यप के मरने से पहले ही होलिका के रूप में बुराई जल गई और अच्छाई के रूप में भक्त प्रहलाद बच गए और अपने भक्त के लिये स्वयम भगवान को प्रकट होना पड़ा था
क्या करें उपाय
होलिका दहन से पहले पान के पत्ते लें। होलिका दहन के दौरान अग्नि की 7 परिक्रमा करें। परिक्रमा पूरी होने के बाद इस पान का पत्ता माता लक्ष्मी जी का ध्यान करते हुए होलिका में अर्पित करें। ऐसा करने से आर्थिक समस्याएं दूर होंगी और जीवन में धन- वैभव की प्राप्ति होगी
आचार्य सूरज पाण्ड्य और आचार्य गिरीश उपाध्याय ने बताया कि
अगर आप अपनी नौकरी, बिजनेस या करियर से संतुष्ट नहीं हैं या आपको कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता हासिल नहीं हो पा रही है तो इसके लिए होलिका दहन के दिन पूजा के दौरान नारियल और कपूर को अग्नि में डाल दें माता लक्ष्मी जिनका ध्यान रखते हुय. इसके बाद सात बार होलिका की परिक्रमा करें लाभ होगा
25 मार्च को उदया तिथि में चैत्र मास की प्रतिपदा नहीं होने से 26 को मनेगी होली
24 के रात में 10 बज कर 29 मिंट से सूर्योदय के पूर्व जलेगी होलिका
होली 26 मार्च को मनाई जाएगी। वहीं होलिका दहन 24 मार्च की मध्यरात्रि किया जाएगा।
ज्योतिर्विद आचार्य लोकनाथ तिवारी ने बताया की वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, 24 मार्च को चतुर्दशी तिथि का मान सुबह 09 बजकर 23 मिनट तक पश्चात पूर्णिमा तिथि है। इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र सुबह 07 बजकर 18 मिनट, पश्चात उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और वृद्धि योग और छत्र नामक औदायिक योग है।
दूसरे दिन यानी 25 मार्च को पूर्णिमा दिन में 11 बजकर 31 मिनट तक है। शास्त्र के अनुसार, होलिका का पूजन और दहन पूर्णिमा कालिन भद्रा रहित समय में किया जाता है। पूर्णिमा तिथि के पहले भद्रा रहती है। भद्रा की स्थिति 24 मार्च को सुबह नौ बजकर 23 मिनट से रात 10 बजकर 28 मिनट तक है। 24 मार्च को रात में 10 बजकर 28 मिनट के बाद और दूसरे दिन सूर्योदय के पहले कभी भी होलिका का पूजन और दहन किया जा सकता है। 25 मार्च को उदया तिथि में चैत्र मास की प्रतिपदा का मान नहीं होने से होली 26 मार्च को मनाई जाएगी।
क्यो मनाया जाता है होली का पर्व
यह त्यौहार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के मारे जाने की स्मृति में मनाया जाता है। होलिका दहन के बाद ही होली मनाई जाती । हिरण्यकश्यप के मरने से पहले ही होलिका के रूप में बुराई जल गई और अच्छाई के रूप में भक्त प्रहलाद बच गए और अपने भक्त के लिये स्वयम भगवान को प्रकट होना पड़ा था
क्या करें उपाय
होलिका दहन से पहले पान के पत्ते लें। होलिका दहन के दौरान अग्नि की 7 परिक्रमा करें। परिक्रमा पूरी होने के बाद इस पान का पत्ता माता लक्ष्मी जी का ध्यान करते हुए होलिका में अर्पित करें। ऐसा करने से आर्थिक समस्याएं दूर होंगी और जीवन में धन- वैभव की प्राप्ति होगी
आचार्य सूरज पाण्ड्य और आचार्य गिरीश उपाध्याय ने बताया कि
अगर आप अपनी नौकरी, बिजनेस या करियर से संतुष्ट नहीं हैं या आपको कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता हासिल नहीं हो पा रही है तो इसके लिए होलिका दहन के दिन पूजा के दौरान नारियल और कपूर को अग्नि में डाल दें माता लक्ष्मी जिनका ध्यान रखते हुय. इसके बाद सात बार होलिका की परिक्रमा करें लाभ होगा