
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। आपराधिक कानून में बदलाव के साथ ही इसमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है। हाल ही में संसद द्वारा पारित तीन विधेयकों ने अब कानून का रूप ले लिया है। देश में अंग्रेजों के जमाने के इन आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले तीन संशोधन विधेयकों को सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी। तीनों नए कानून अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे, जो क्रमश: भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) का स्थान लेंगे।
कानूनों में बदलाव के साथ ही इनमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है। आइये जानते हैं आईपीसी की कुछ अहम धाराओं के बदलाव के बारे में? अब इन्हे किस क्रम में रखा गया है? वे पहले किस स्थान पर थीं?
तीन नए क्रिमिनल कानून में बदलाव–मर्डर करने पर धारा 302 नहीं, अब धारा 101 लगेगी। धोखाधड़ी के लिए फेमस धारा 420 नहीं, अब 318 हो गई है। बलात्कार की धारा 376 नहीं, अब 63 लगेगी। शादीशुदा महिला को फुसलाना अब अपराध है। जबकि जबरन आप्राकृतिक यौन संबंध अब अपराध की कैटेगरी में नहीं आएगा।
आज यानी 1 जुलाई से देश भर में तीन नए क्रिमिनल कानून लागू होने से यह बदलाव हुए हैं। नए क्रिमिनल कानून में महिलाओं बच्चों और जानवरों से जुड़ी हिंसा के कानून को सख्त किया गया है। इसके अलावा कई प्रोसीजरल बदलाव भी हुए हैं। जैसे आप घर बैठे ई-FIR दर्ज कर सकते हैं।
