लाखों रुपए खर्च गांव बिकास से कोसों दूर।
बेजुबानों के रख रखाव व चारा भूसा में हुआ भ्रष्टाचार।
बांदा – जनपद के बिकास खंड बिसंडा के अन्तर्गत ग्राम पंचायत नादनमऊ में लाखों रुपए बजट खर्च होने के बावजूद भी गांव की तस्वीर नहीं बदली। जहां आज भी समस्याएं जस की तस है। केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों को रोजगार, क़ृषि,स्वा
स्च्छता, शिक्षा व निराश्रित गोवंश संरक्षण के लिए समय समय पर लाखों रुपए बजट खर्च किए गए लेकिन धरातल पर रियलिटी चेक में कागज़ी घोड़े दौड़ाकर ग्रामीण विकास निधि की जमकर लूट खसोट हुईं लेकिन धरातल कार्य नदारद मिले। स्थानीय ग्रामीणों ने मीडिया से बताया कि सचिव द्वारा कुछ चुनिंदा लोगों के माध्यमों से अपने पद का दुरूपयोग कर लाखों रुपए बजट को लूटने के लिए फर्जी कार्य सरकारी फाइलों में दर्ज किए हैं जिनका धरातल पर कोई भी आधार नहीं है। इसकी जानकारी की सत्यता जांच में गये मीडिया ने गौशाला का निरीक्षण किया तो मौके पर गौवंश के नाम पर खाली पड़ी दल-दल से भरी गौशाला मिली। जिसमें एक भी गौवंश संरक्षित नहीं मिला और मिलता भी कैसे क्योंकि मानक अनुरूप रखरखाव के नाम पर धनराशि का बंटवारा पहले ही हो गया। ऐसे में बेजुबानों की भूख को मिटाने वाला पौष्टिक आहार, भूसा,चारा ,टीन शेड, विधुत ब्यवस्था व साफ सफाई का इंतजाम कैसे हो। गौशाला के नाम पर कीचड व दल दल से भरा एक मृतशाला मिली। जिसमें ग्रामीणों के अनुसार कीचड़ में फंसकर गौवंश मरने की जानकारी दी गई। खाली पड़ी गौशाला के लिए आवंटित धनराशि व ग्राम पंचायत बिकास बजट की निकासी के दिन ही गांव में पंचायत भवन में बहार आती है और सचिव की देखरेख में सरकारी धन को पेमेंट कर हिस्सेदारी बांट ली जाती है वर्तमान प्रधान का शिक्षा स्तर कम और महिला होना भी इस भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। क्योंकि उसको सचिव की कारगुजारियों की समझ नहीं है कि कैसे लाखों रुपए की लूट-खसोट निरंतर जारी है। यदि उच्चाधिकारियों द्वारा ग्रामीण विकास में खर्च बजट का धरातलीय सर्वे किया गया तो सारी हकीकत खुल कर सामने आ जाएंगी और बिकास के लिए सरकारी प्रयास फाइलों से निकल कर जमीन पर उतर जाएंगे।