धर्मपथ चौड़ीकरण को लेकर दुकानदारों में गुस्सा, प्रशासन पर लगाए मनमानी के आरोप
अयोध्या।
धर्मनगरी अयोध्या में चल रहे धर्मपथ चौड़ीकरण कार्य को लेकर दुकानदारों में एक बार फिर आक्रोश भड़क उठा है। इस परियोजना की जद में आने वाली 14 दुकानों के व्यापारी शनिवार को एकजुट होकर सामने आए और उन्होंने एक प्रेसवार्ता कर प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।
व्यापारियों ने कहा कि वे पिछले कई महीनों से मानसिक तनाव और असमंजस की स्थिति में हैं। उनका कहना है कि अधिकारियों द्वारा बिना किसी लिखित सूचना के, मौखिक रूप से उनकी दुकानों के अधिग्रहण की बात कही जा रही है।
2003 में वैध तरीके से खरीदी थीं दुकानें
प्रभावित दुकानदारों का कहना है कि उनकी दुकानों को वर्ष 2003 में अयोध्या-फैजाबाद विकास प्राधिकरण से तयशुदा कीमत पर वैध रूप से खरीदा गया था। सभी ने रजिस्ट्री कराकर बकायदा बैनामा कराया था।
लेकिन अब प्रशासनिक टीमें बिना किसी लिखित आदेश या मुआवजे की बात किए, दुकानों को हटाने का दबाव बना रही हैं। इससे दुकानदारों की रोजी-रोटी पर संकट आ खड़ा हुआ है।
अदालत ने दिए हैं स्पष्ट आदेश
दुकानदारों ने बताया कि उन्होंने 16 अप्रैल को उच्च न्यायालय, लखनऊ खण्डपीठ में एक याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि अधिग्रहण केवल नियमों के तहत या सहमति के आधार पर ही किया जा सकता है। इसके बावजूद अधिकारियों का रवैया दबाव बनाने वाला और एकतरफा बना हुआ है।
विकल्प देने की मांग
व्यापारी सुनील कुमार, संजय कुमार, बुद्ध सागर मिश्रा, उपेंद्र कुमार, अजय वर्मा और प्रकाश चंद्र गुप्ता समेत अन्य लोगों ने कहा कि शासन की ओर से पहले यह भरोसा दिया गया था कि यदि दुकानें हटाई जाती हैं, तो बदले में दुकानें दी जाएंगी।
उनका सुझाव है कि धर्मपथ पर ही विकास प्राधिकरण की लगभग 100 फुट लंबी भूमि है, जहाँ विस्थापित दुकानदारों के लिए नई दुकानें बनाकर उन्हें पुनः बसाया जा सकता है।
इसके अलावा संत तुलसीदास घाट रोड के पास स्थित कुष्ठ आश्रम क्षेत्र और बंधा तिराहे से बिजली कार्यालय मार्ग के पास भी पर्याप्त सरकारी भूमि उपलब्ध है, जहाँ वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है।
प्रशासन पर जबरदस्ती और बेरुखी के आरोप
प्रेसवार्ता के दौरान दुकानदारों ने प्रशासन पर जबरदस्ती का रवैया अपनाने और बातचीत के लिए तैयार न होने का आरोप भी लगाया। उनका कहना है कि अधिकारी उनके साथ संवाद करने की बजाय, सिर्फ दबाव बनाकर कार्यवाही करना चाहते हैं, जो अनुचित और अमानवीय है।
न्याय और समाधान की उम्मीद
दुकानदारों ने मीडिया के माध्यम से शासन और प्रशासन से अपील की है कि वे मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं और पहले से बसे दुकानदारों को उजाड़ने से पहले उचित विकल्प और मुआवजा उपलब्ध कराएं।
स्थानीय जनता और अन्य व्यापारियों ने भी प्रभावित दुकानदारों के समर्थन में आवाज़ उठाई है और उम्मीद जताई है कि सरकार इस विषय को गंभीरता से लेगी और कोई संतुलित समाधान निकालेगी।
