
* नशामुक्ति के लिए नहीं चलता है कोई कार्यक्रम
* सिर्फ कागजों में जागरूकता तराई में शराब से कम, स्मैक के शिकंजे में ज्यादा है युवा वर्ग
* स्मैक की लत लगने पर खुराक न मिलने से बेचैन हो जाता है नशेड़ी
* पेट में पथरी की समस्या भी नशे का आदी बनाने का कर रही कार्य
अभिषेक श्रीवास्तव
शोहरतगढ़़/सिद्धार्थनगर
तराई में दारू कम बल्कि युवा वर्ग नशे के लिए स्मैक का आदी है। स्मैक की लत लग जाने पर खुराक न मिलने से नशेड़ी बेचैन होने लगता है। यह बेचैनी उसकी जिंदगी को तबाह कर देती है। वहीं मजदूर वर्ग पर नेपाली दारू हॉबी है। सस्ती दरों पर मिलने वाली इस दारू की क्वालिटी काफी लो होने से जिंदगी लील जा रही है, बावजूद नशा मुक्ति के लिए प्रशासन की ओर से कोई नियमित कार्यक्रम नहीं चल रहे हैं। जागरूकता के कार्यक्रम सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। दरअसल, बदले समय के साथ- साथ नशे वाली सामग्रियों का सेवन फैशन बन गया है। बाद में यही फैशन नशेड़ी बना दे रहा है। जिसे छोड़ना काफी मुश्किल हो जाता है। तराई में युवा वर्ग अंग्रेजी दारू, बीयर के भी शौकिन हैं। यह शौकिया कार्यक्रम सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। दरअसल, बदले समय के साथ- साथ नशे वाली सामग्रियों का सेवन फैशन बन गया है। बाद में यही फैशन नशेड़ी बना दे रहा है। जिसे छोड़ना काफी मुश्किल हो जाता है। तराई में युवा वर्ग अंग्रेजी दारू, बीयर के भी शौकिन है। यह शौकिया क्यालिटी ठीक न होने से लोगों की जिंदगी तबाह कर दे रहा है, बावजूद इस पर नकेल नहीं कसा जा पा रहा है। आये दिन पुलिस नेपाली दारू पकड़ा भी जाता है, बावजूद जागरूकता कार्यक्रम न चलने से लोगों की जिंदगी तबाह हो रही है। जिले में नहीं है नशा मुक्ति केंद्र नशे से छुटकारा पाने के लिये नशा मुक्ति केंद्र का प्रावधान है लेकिन जिले में अभी यह सेवा नहीं है। प्रदेश के आगरा जिले में नशा मुक्ति केंद्र संचालित है। जहां चार चरणों में नशे से मुक्ति के लिए कार्य किया जा रहा है।
पथरी की समस्या ने बना दिया नशे की आदी पेट में पथरी को समस्या भी नशे का आदी बनाने का कार्य कर रही है। यूरिन (पेशाब) में बनने वाली पथरी को निकालने के लिए कई बार चिकित्सक बीयर पीने की सलाह दे देते हैं। ऐसे में पथरी की पीड़ा झेलने वाला मरीज प्रतिदिन एक बीयर पीने की आदत ले आ रहे हैं जो कि बाद में खुराक बढ़ाने के लिये मजबूर कर दे रहा है। वहीं फैशन के दौर में नशे के आदि हो चुके युवा वर्ग शराब समेत अन्य सामग्री की गंध को छिपाने के लिए सुगंधित पदार्थ चबाते हैं यानी की इलाइची, पराग, गुटखा का सेवन करते हैं। जबकि चाल में लड़खड़ाहट, बोलने में तुतलाहट या हकलाहट आ जाना जीवन शैली में परिवर्तन आ जाना, निद्रा में अनियमितता, स्नान आदि नहीं करना, भूख कम लगना। शरीर व बांहों पर इंजेक्शन के निशान व सूजन नशेड़ी होने की गवाही देता है। इस दौरान डा0 सीबी चौधरी, फिजीशियन, मेडिकल कालेज ने बताया कि नशे की लत काफी खराब होती है। एक बार नशे का आदी हो जाने पर छुड़ाने में समय लगता है। इसे छोड़ने के लिए धीरे-धीरे अल्कोहल की मात्रा कम करें। इसके अलाव बीड़ी, सिगरेट को थोड़ा तोड़ कर पीयें। कुछ दिनों तक ऐसा करने पर नशे से छुटकारा पाया जा सकता है। अचानक से इसे न छोड़ें, नहीं तो दिक्कत बढ़ सकती है।
