* काम न मिलने से रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया
सरताज आलम
शोहरतगढ़़/सिद्धार्थनगर
आपदा के समय पीड़ित लोंगो को बचाने व उन्हें आपदा से बचने के लिये शासन की ओर से आपदा मित्रों को प्रशिक्षित करवाने का काम किया गया था। एक वर्ष पूर्व 28 जून 2022 को 200 आपदा मित्रों एवं नवम्बर 22 में 100 के लगभग आपदा मित्र/सखियों का प्रशिक्षण
लखनऊ में हुआ था। जिले में प्रशिक्षित आपदा मित्र/सखियों की शिकायत है कि जब से उन्हें प्रशिक्षित किया गया है तब से जिला प्रशासन की ओर से उन्हें कोई भी काम नहीं दिया जा रहा है। जबकि पिछले दो सालों से जिला भीषण बाढ़ से प्रभावित रहा है। आपदाओं से निपटने के लिये शासन के निर्देश पर लगभग 300 आपदा मित्र/सखियों को 12 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया था। शासन की मंशा थी कि प्रदेश सबसे बड़ी आबादी वाला प्रदेश है। यहां सिद्धार्थनगर समेत 40 जिले बाढ़ प्रभावित माने जाते हैं। आपदा आने से पूर्व आपदा मित्र गांव-गांव में जाकर लोगों को बाढ़ आग भूकंप आदि आपदाओं से बचाव का तरीका बताकर लोगों को जागरूक करने का कार्य करेंगे। सिद्धार्थनगर में प्रशिक्षित आपदा मित्रों ने जिला प्रशासन पर उनके साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। आपदा मित्रों ने बताया कि काम न मिलने के कारण कई आपदा मित्र बेरोजगार हो गये हैं और वह रोजी-रोटी के लिये बड़े शहरों की और पलायन कर चुके हैं। कोई प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का कार्य कर रहा है तो कोई सब्जियों को बेचकर व कपड़ा सिलाई कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है। वहीं आपदा मित्रों ने बताया कि 1 जून 23 लखनऊ में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के नये भवन के शिलान्यास के मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी ने घोषणा की थी कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में अच्छा काम करने वाले आपदा मित्रों को व्यवस्था के साथ जोड़ते हुये उन्हें उचित मानदेय राजस्व विभाग की तरफ से दिया जायेगा। लेकिन हमारे सिद्धार्थनगर जिले में आपदा मित्रों से कोई काम नहीं लिया जा रहा है। इस दौरान आपदा मित्रों ने जिला अधिकारी से प्रशिक्षित आपदा मित्रों का उपयोग करने की मांग की है। 2006 से आपदा प्रबंधन सिद्धार्थनगर से जुड़े पूर्व मास्टर ट्रेनर/आपदा मित्र श्याम देव यादव बढ़नी निवासी बताया है कि पहले हम लोगों को 500 रूपये डेली के हिसाब से काम मिलता था। तहसील गांव आदि में जाकर हम लोग सबको जागरुक करते थे। अब कुछ भी नहीं हो रहा है, जिससे काफी निराश हूँ। तहसील बासी के आपदा मित्र महेंद्र मिश्रा ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से काम न मिलने से रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। प्राइवेट स्कूल में पढाकर ट्यूशन कर जीवन यापन करने का कार्य कर रहा हूॅं। न0पं0 उसका के आपदा मित्र बांके गोपाल पाण्डेय ने कहा कि खेती बाड़ी कर परिवार का पेट पाल रहा हूॅं। आपदा मित्र दुर्गा प्रसाद नौगढ़ ने बताया कि सब्ज़ी बेंचकर जीवन यापन करने को मजबूर हो गया हूॅं। आपदा मित्र हरिओम दूबे ने बताया कि पूरी तरह बेरोजगार हूँ और इस मंहगाई में जीवन काफी कठिनाइयों भरा है। डुमरियागंज
के आपदा मित्र रमेश यादव ने कहा कि सिंलाई कर
जीवन काट रहा हूॅं।