

झांँसी से नेहा श्रीवास के साथ पुष्पेंद्र श्रीवास की रिपोर्ट..
बुंदेलखण्ड सबसे उपयुक्त है खरीफ प्याज के लिए – कुलपति
झाँसी।रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के उद्यान एवं वानिकी हॉल में खरीफ प्याज पर दो दिवसीय खरीफ प्याज प्रशिक्षण का शुभारम्भ हुआ। सभी अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम प्रारंभ किया। मुख्य अतिथि अपर निदेशक उद्यान राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान और विकास फाउंडेशन, (एनएचआरडीएफ) नई दिल्ली, डॉ. पीके गुप्ता रहे। अध्यक्षता कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने की। स्वागत एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में अद्यिष्ठाता उद्यानिकी वानिकी ने जानकारी दी। कुलसचिव डॉ. मुकेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि इस प्रशिक्षण में 40 किसानों ने प्रतिभाग किया है। खरीफ प्याज की वैज्ञानिक जानकारी किसानों के लिए निश्चित ही लाभप्रद होगी। प्याज अपने आप में एक महत्वपूर्ण फसल है। निदेशक शोध डॉ. एआर शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय खरीफ फसल का चल रहा है। इस समय किसान मूंग, तिल मूंगफली आदि की फसलें करते हैं। यह फसलें परम्परागत हैं। लेकिन इन फसलों में किसी न किसी कारण से अधिकतर खराब हो जाती हैं। बुंदेलखण्ड में खरीफ मौसम में काफी जमीन खाली रहती है। किसानों को चाहिए परम्परागत फसलों के साथ – साथ धान, मूंग एवं खरीफ की प्याज उगाएं। इससे किसानों को निश्चित ही लाभ मिलेगा। खरीफ प्याज में बुंदेलखण्ड में अपार संभावनाएं हैं। मुख्य अतिथि अपर निदेशक उद्यान राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान और विकास फाउंडेशन, (एनएचआरडीएफ) नई दिल्ली, डॉ. पीके गुप्ता ने कहा कि एनएचआरडीएफ नेशनल एजेंसी है हमारे यहां कई प्रकार की वैरायटी की किस्म प्याज एवं लहसुन की हैं। भारत देश में प्याज के 18 केन्द्र हैं। आज रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विवि के साथ एमओयू हुआ है। अब यह दोनों संस्था मिल के यहां के किसानों के लिए प्याज पर कार्य करेंगी। इससे निश्चित ही यहां के किसानों की आय में इजाफा होगा। डॉ. गुप्ता ने उपस्थित किसानों से कहा कि आप के द्वारा जो प्याज तैयार किया जायगा। उसका लाभ अवश्य होगा। खरीफ प्याज को उगाना लाभप्रद है। उन्होंने यहां के किसानों के लिए हमारा फाउंडेशन प्याज स्टोर भी बनायेगा। अध्यक्षता कर रहे कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि बुंदेलखण्ड सबसे उपयुक्त है खरीफ प्याज के लिए, आज जिस संस्था के साथ विवि का एएमयू हुआ है यह एनएचआरडीएफ एक राष्ट्रीय विकास की संस्था है। इस संस्था का महत्त्वपूर्ण कार्य प्याज और लहसुन करना है। उन्होंने कहा कि प्याज एक एसी फसल है जो कभी कभी चिन्ता का विषय भी बन जाती है। हमारे देश में प्रमुख रूप से आलू, प्याज, टमाटर उपयोग में अधिक आते हैं। प्याज में एसे तत्त्व पाये जाते हैं जो मनुष्य के लिए लाभप्रद हैं। जैसे कैंसर मरीज को भी प्याज लाभप्रद है। अंत में प्रशिक्षण ले रहे किसानों से कहा आप अपने मनोयोग से कार्य करें एवं जो वैज्ञानिक आपको खरीफ प्याज की विधि समझाएंगे उस प्रकार से खेती करें। इससे निश्चित ही आप लोगों को लाभ मिलेगा। कार्यक्रम के अंत में विवि के कुलसचिव डॉ. मुकेश कुमार श्रीवास्तव एवं अपर निदेशक उद्यान राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान और विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) नई दिल्ली डॉ. पीके गुप्ता ने हस्ताक्षर करके एमओयू किया। डॉ. जेके तिवारी वैज्ञानिक एनएचआरडीएफ , विनोद कुमार सिंह वैज्ञानिक एनएचआरडीएफ एवं डॉ. देवेश तिवारी ने अधिक आय हेतु खरीफ प्याज की खेती पर किसानों को प्रशिक्षण दिया। इस अवसर पर प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. एसएस सिंह, प्रशिक्षण सहसंयोजक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव शर्मा, संस्कृति त्रिपाठी सहित उद्यानिकी एवं वानिकी के वैज्ञानिक, शिक्षक उपस्थित रहे। डॉ. प्रियंका शर्मा ने सफल संचालन एवं आभार प्रशिक्षण संयोजक डॉ. अर्जुन ओला ने व्यक्त किया।
