हाथरस। उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के आदेश के अनुपालन में जनपद न्यायाधीश मृदुला कुमार के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव अजय कुमार द्वारा जिला कारागार, अलीगढ़ का निरीक्षण किया गया। वरिष्ठ अधीक्षक से जिला कारागार में निरूद्ध बन्दियों के सम्बन्ध में जानकारी की गयी तो वरिष्ठ जेल अधीक्षक द्वारा अवगत कराया गया कि वर्तमान में जनपद हाथरस से सम्बन्धित कुल 1220 बन्दी निरूद्ध है, जिनमें 1167 पुरूष तथा महिलाएं 42 व किशोर (18 से 21 वर्ष से कम आयु के बन्दी) 11 व जनपद हाथरस की निरूद्ध महिलाओं के साथ 01 बच्चा हैं। सचिव द्वारा पुरूष बन्दी व महिला बन्दी से बातचीत की गई व उनकी समस्यों को सुना गया तथा उनकी समस्या के निस्तारण हेतु वरिष्ठ जेल अधीक्षक को आवश्यक निर्देश दिये गये। निरीक्षण के समय कारागार में निरूद्ध बंदियों से उनकी तारीख पेशी एवं भोजन के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी की गयी तथा बन्दियों से आज के भोजन के बारे में पूछा गया। इसके अतिरिक्त बीमार निरूद्ध बन्दियों से उनके स्वास्थ्य के बारे में एंव उनको दी जाने वाली दवाओं के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी ली गयी। अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव द्वारा बैरकों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान बन्दियों ने बताया कि उन्हें विधिक सहायता मिल रही है। सचिव द्वारा जिला कारागार में लीगल एड क्लीनिंक कक्ष का निरीक्षण किया और जेल अधीक्षक को निर्देशित किया गया कि एड क्लीनिंक में प्राप्त होने वाले प्रार्थना पत्रों को नियमानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस में प्रेषित करें। इसके साथ ही लीगल एड क्लीनिंक में मौजूद जेल पीएलवीगण को निर्देशित किया गया कि किसी भी बन्दी को विधिक सहायता एवं लीगल एड की आवश्यकता हो तो वे उस बन्दी का प्रार्थना पत्र लिखवाने में मदद करें। निरीक्षण के समय बन्दियों से उनकी समस्या के बारे में पूछा गया जो उनके द्वारा कोई समस्या नहीं बतायी गयी।
इसके अतिरिक्त उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देंशानुसार जिला कारागार, अलीगढ़ में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव अजय कुमार की अध्यक्षता में किया गया, शिविर में उपस्थित महिलाओं एवं उनके साथ रह रहे बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा के सम्बन्ध में महिला बंदियों को एवं पुरूष बन्दियों को जानकारी देते हुये बताया कि ऐसे मामलें जिनमें 07 साल से कम सजा है और बन्दी कुछ समय कारागार में व्यतीत कर चुके हैं वो जुर्म इकबाल का प्रार्थना पत्र देकर सुलह के माध्यम से केसो का अन्तिम रूप से निस्तारण करा सकते हैं, क्यांेकि प्लीबारगेनिंग के अन्तर्गत छोटे मामले आते हैं। उन्होंने पुरूष एवं महिला बन्दियों को निःशुल्क विधिक सहायता के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि यदि किसी बन्दी के पास पैरवी हेतु अधिवक्ता उपलब्ध नहीं है, तो वह कारागार अधीक्षक के माध्यम से एक प्रार्थना पत्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रेषित कर निःशुल्क सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रत्येक माह में जेल लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है। जिसमें बन्दियों के लघु आपराधिक वादों का निस्तारण किया जाता है, और विधिक जानकारी हेतु पैनल अधिवक्ता प्रत्येक माह जिला कारागार में उपस्थित होते है, जिनसे विधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है।
इस अवसर पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक बृजेन्द्र सिंह यादव, जेलर कमलेन्द्र प्रताप सिंह, डिप्टी जेलर सुरेश कुमार, वरिष्ठ चिकित्सक डा. शाहरूख रिजवी, चिकित्सक अभिषेक गुप्ता, डिप्टी जेलर, राजेश कुमार राय, प्रिय कुमार मिश्र, संदीप कुमार, उपस्थित मिले।