
* जनपद में 10 अगस्त से शुरू होगा सर्वजन दवा सेवन अभियान
* स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सीफॉर के सहयोग से मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित
* स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही दवा खाने का लिया संकल्प
सरताज आलम
सिद्धार्थनगर।
जनपद में 10 से 28 अगस्त तक प्रस्तावित सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के दौरान जब स्वास्थ्यकर्मी फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने घर पहुंचे तो उसका सेवन जरूर करें। दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेन्टर फॉर एडवोकेसी एण्ड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से शुक्रवार को यहां एक निजी होटल में आयोजित मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला के दौरान यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी ड0 विनोद कुमार अग्रवाल ने कहीं। उन्होंने बताया कि लाइलाज बीमारी फाइलेरिया से बचाव के लिये पांच साल तक लगातार साल में एक बार दवा का सेवन जरूर करें। सीएमओ ने कार्यशाला के सभी प्रतिभागियों को स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही दवा खाकर जिले को फाइलेरिया मुक्त करने का संकल्प दिलाया।
सीएमओ ने कहा कि जब समुदाय के सभी लोग फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करेंगे तभी सुरक्षित रह सकेंगे। यह दवा अभियान के अलावा भी सरकारी अस्पतालों पर उपलब्ध रहती है। अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता के घर को दवा का डिपो बनाया जायेगा, जहां पहुंच कर छूटे हुये लोग दवा खा सकते हैं। दवा सेवन करने के बाद अंगुली पर निशान भी बनाया जायेगा। जिले में फाइलेरिया यानी हाथी पांव के 439 मरीज हैं। फाइलेरिया के संक्रमण से हाइड्रोसील का शिकार हुए 311 मरीज चिन्हित किये गये हैं। हाथी पांव के मरीजों को एमएमडीपी किट देकर रोग प्रबन्धन व व्यायाम के बारे में बताया जाता है। हाइड्रोसील के मरीजों की सरकारी प्रावधानों के तहत सर्जरी कराई जा सकती है। इस बीमारी के कारण मृत्यु तो नहीं होती है लेकिन जीवन बोझ बन जाता है। व्यक्ति की शारीरिक क्षमता तो प्रभावित होती ही है, साथ में वह आर्थिक तौर पर भी टूट जाता है। इससे बचाव के लिये दवा का सेवन ही श्रेष्ठ उपाय है। जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवा के सेवन के बाद अल्बेंडाजोल की गोली चबा कर खानी है। दवा को स्वास्थ्यकर्मी से मांगना नहीं है। दवा खाने से फाइलेरिया के परजीवी मर जाते हैं। मरते हुए परजीवियों के प्रतिक्रिया के कारण कई बार सिरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी और बदन पर चकत्ते जैसे लक्षण नजर आते हैं जिनसे घबराना नहीं है। यह लक्षण आमतौर पर स्वत: ठीक हो जाते हैं। अगर दिक्कत ज्यादा हो तो आशा कार्यकर्ता की मदद से रैपिड रिस्पांस टीम से सम्पर्क कर सकते हैं लेकिन ऐसी स्थिति आती नहीं है। दवा का सेवन दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गम्भीर बीमार लोगों को नहीं करना है। एक से दो साल तक के बच्चों को सिर्फ पेट के कीड़े निकालने की दवा अल्बेंडाजोल ही खिलाई जायेगी। अति गम्भीर तौर पर बीमार की श्रेणी में मधुमेह, बीपी, थायरायड आदि के रोगी नहीं आते हैं। जिला महामारी रोग विशेषज्ञ समीर सिंह ने बताया कि जनपद के 29.86 लाख लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य है। इसके लिये जिले में 2389 लोगों की टीम बनाई गयी है। स्वयंसेवी संस्था डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, पाथ, पीसीआई और सीफार इस अभियान में हमारे सहयोगी हैं। फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसका कोई लक्षण सामान्यता दिखाई नहीं देता है। बुखार, हाथ पैर में दर्द या सूजन तथा पुरूषों के जननांग में व उसके आसपास दर्द या सूजन, पैरों और हाथों में सूजन व हाइड्रोसील इसके सामान्य लक्षण हैं। गन्दे पानी में पनपने वाला फाइलेरिया संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर जब स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी संक्रमित होने का खतरा रहता है। ऐसे में बीमारी से बचने के लिये आवश्यक है कि मच्छरदानी का प्रयोग करें और घर के आसपास साफ-सफाई रखें। इन सभी सावधानियों के बावजूद साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अवश्य करें। इस मौके पर पाथ संस्था की प्रतिनिधि डा0 सुचेता शर्मा और पीसीआई संस्था के प्रतिनिधि आनन्द मोहन पाण्डेय ने भी प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन जिला मलेरिया अधिकारी ने किया और कार्यक्रम का संचालन सहायक मलेरिया अधिकारी अनिल श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर एसीएमओ डा0 डीके चौधरी, डा0 वीएन चतुर्वेदी, डा0 एमएम त्रिपाठी और डा0 आरके शर्मा समेत विभागीय सहयोगी और मीडिया के प्रतिभागीगण मौजूद रहें।
