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दोस्ती का रिश्ता यथार्थ का है ना कि स्वार्थ का- डाॅ० संदीप सरावगी

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झांँसी से नेहा श्रीवास के साथ पुष्पेंद्र श्रीवास की रिपोर्ट..

झाँसी। वर्तमान के आपाधापी भरे युग में इंसान रिश्तों को भूलता जा रहा है सारे रिश्ते मोबाइल और सोशल मीडिया तक सीमित रह गये हैं। अधिकांश रिश्ते हमें जन्म से एवं कुछ उसके बाद स्वतः ही मिल जाते हैं लेकिन दोस्ती का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता है जिसे हम स्वयं चुनते हैं। ऐसे कई उदाहरण देखे गए हैं जहाँ लोगों ने रिश्तेदारी को दरकिनार कर दोस्ती के रिश्ते को निभाया है। कई ऐसे खुशी के अवसर आते हैं जब पुराने दोस्तों का मिलना जुलना हो जाता है और पुरानी बातों को याद कर सभी अपना बचपन एक बार पुनः जी लेते हैं। ऐसा ही एक अवसर 11 अगस्त का था, दो पुराने मित्रों राजीव गुप्ता और आलोक उपाध्याय के जन्मदिवस के अवसर पर जीवन शाह एक स्थित एक स्थानीय होटल में जन्मदिवस समारोह का आयोजन किया गया जिसमें दोनों के बचपन के सभी मित्रगण उपस्थित रहे। सभी मित्रों द्वारा राजीव गुप्ता और आलोक उपाध्याय को तिलक लगाकर एवं माल्यार्पण कर उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी गई तथा केक काटकर खुशियां मनाई गयीं। इस दौरान जनपद के प्रतिष्ठित समाजसेवी डाॅ० संदीप सरावगी ने कहा ऐसे अवसर बहुत ही भावुक होते हैं जब पुराने दोस्तों को साथ बैठने का अवसर मिलता है पुरानी बातों को याद कर हम पुनः अपने बचपन में पहुंच जाते हैं। आज के समय में लोगों के पास अपने परिवार जनों के लिए समय नहीं है ऐसे में दोस्तों का मिल पाना बहुत ही कम देखा जाता है लेकिन सच्ची दोस्ती आपको दूसरे दोस्त तक स्वतः ही खींच लाती है क्योंकि यह रिश्ता निस्वार्थ होता है जहां अमीरी गरीबी जात पात धर्म नहीं देखा जाता, बस देखा जाता है एक दूसरे के प्रति समर्पण। आज अपने पुराने दोस्तों से मिलकर सारी यादें ताजा हो गई हैं और मैं सभी से कहना चाहूंगा कि कुछ दोस्त ऐसे जरूर बनाएं जो अवसर पड़ने पर आपके लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हों जब भी उनके साथ की जरूरत हो वे उपस्थित रहें। इस अवसर पर म संजय महाजन, अमर गुप्ता, अरुण, अनिल, गौरव, सचिन, नितिन सिंघल (टीटू), सौरभ, बृज बिहारी, आलोक जिंदल, राजकुमार सहित अन्य मित्रगण उपस्थित रहे।

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